इन्टरनेट ब्राउजिंग एवं उनका ओपरेशन Internet Browsing And Opration
दोस्तो मै आपका जगतपाल आज हम इस अध्याय में इंटरनेट के बारे में विस्तार रूप से जानेंगें। इंटरनेट क्या है? और उनके ओपरेशन को भी विस्तार रूप से अध्ययन करेंगें। जिससे पढ़कर आपको कुछ जानकारी प्राप्त हो सके।
इंटरनेट (Internet)
विश्व भर में उपलब्ध कंप्यूटर सामान्यतः जब टेलीफोन लाइन और मोॅडेम (Modem) (इंटरनेट से जोड़ने हेतु एक उपकरण) की सहायता से संपर्क में आते हैं तो उनका एक (Network) नेटवर्क स्थापित होता है इसी नेटवर्क से इंटरनेट बना है जिस प्रकार कंप्यूटर पर विभिन्न कार्य हेतु भिन्न प्रकार के सोफ्टवेयर की आवश्यता पड़ती है उसी प्रकार इंटरनेट पर कार्य करने हेतु जिस सोफ्टवेयर की आवश्यकता पढती है, उसे ब्राउज़र कहते हैं।ऐसे ही एक प्रसिद्ध ब्राउज़र (Browser) इंटरनेटर एक्सप्लोरर है।
प्रोटोकॉल (Protocol)
संदेशो के ऐसे प्रारुप जिन्हे औपचारिक रूप से वर्णित किया जाता है, प्रोटोकोल कहलाते हैं। दो मशीनो के बीच डेटा को आदान-प्रदान के लिए प्रोटोकोल का पालन करना अत्यंत आवश्यक है विभिन्न प्रकार के प्रोटोकोल निम्न है:-
1. POP (Post Office Protocol) : यह क्लाइंट सर्वर माॅडल पर आधारित होता है। इसका प्रयोग ई-मेल को डाउनलोड या अपलोड करने में किया जाता है। इस प्रोटोकोल भेंट माध्यम से क्लाइंट सर्वर से ई-मेल प्राप्त करता है।
2. ICP (Internet Control Protocol) : यह प्रोटोकोल, गेटवे(Gatway) व होस्ट(Host) के बीच गलतियों व सूचनाओं को नियंत्रित करता है।
3. ARP (Address Resolution Protocol) : यह प्रोटोकोल की सहायता से इंटरनेट एड्रेस को हार्डवेयर एड्रेस में परिवर्तन किया जाता है।
4. RARP (Reverse Address Resolution Protocol) : यह ARP के विपरीत होता है। अर्थात इस प्रोटोकोल की सहायता से हार्डवेयर एड्रेस में परिवर्तन किया जाता है।
5. TCP (Transmission Control Protocol) : इसके द्वारा दो कंप्यूटर्स के बीच संबंध स्थापित कर डेटा का स्थानांतरण किया जाता है। इस प्रोटोकोल का प्रयोग अधिकांश: इंटरनेट प्रोग्राम के द्वारा किया जाता है। इस कनेक्शन ओरिएंटेड प्रोटोकोल भी कहते हैं। यह IP प्रोटोकोल के साथ संयुक्त होकर TCP/IP बनाता है।
6. UDP (User Data Program Protocol) : इसके द्वारा दो कंप्यूटर्स के बीच कोई संबंध स्थापित नहीं किया जाता है अर्थात यह कनेक्शन रहित प्रोटोकोल है।
7. FTP (File Transfer Protocol) : इसके द्वारा एक सिस्टम पर फाइल का स्थानांतरण किया जाता है।यह क्लाइंट सर्वर माॅडल पर आधारित होता है। यह क्लाइंट प्रोसेस व सर्वर प्रोसेस के बीच कनेक्शन स्थापित करता है।प्रथम प्रकार का कनेक्शन डेटा के स्थानांतरण हेतु और दुसरे प्रकार का कनेक्शन सूचनाओं नियंत्रित करने के लिए। यह बाइनरी फाइल और टेक्स्ट फाइल दोनो को ही स्थानांतरित कर सकता है। इस प्रणाली के अंतर्गत उपयोगकर्ता यह निर्धारित करता है कि कौन सी फाइल स्थानांतरित की उपयोगी और उसे स्थानांतरित करने की विधि क्या होगी। इस कार्य विधि के कुछ चरण निम्न है:-
A. सर्वर से जोड़न ।
B. फाइल स्ट्रक्चर का संचालन करना।
C. अंत में फाइल को स्थानांतरित करना।
8. FTP (File Transfer Protocol) : इसके द्वारा भी एक सिस्टम से दुसरे पर फाइल का स्थानांतरण किया जाता है। लेकिन या FTP के समान गुण प्रदर्शित नहीं करता है। इसकी एक मात्र विशेषता यह है कि यह क्लाइंट प्रोसेस व सर्वर प्रोसेस के बीच फाइलो को प्राप्त करने और भेजने की योग्यता रखता है।
9. SMTP (Simple Mail Transfer Protocol) : यह इंटरनेट पर ई-मेल को सहायता प्रदान करता है। इसके द्वारा विभिन्न उपयोगकर्ता के बीच ई-मेल करने में सुविधा रहती है। इसके अन्य कार्य निम्न है:-
□ किसी संदेश को एक या एक से अधिक प्राप्तकर्ताओं को भेजना।
□ ऐसे संदेश को भेजना जिसमें ध्वनि, टेक्स्ट, विडिओ या ग्राफिक्स शामिल हो।
इंटरफेस अवधारणा (Interface Concept)
इस इंटरनेट से जुड़े हुए सभी कंप्यूटर्स का इंटरफेस अलग-अलग होता है। प्रत्येक इंटरनेट सर्विस द्वारा हमारे कंप्यूटर को एक अलग इंटरफेस प्रदान किया जाता है, ग्राफिकल इंटरफेस, मेन्यू ड्रिविन इंटरफेस। अतः इंटरफेस का चुनाव करना उपयोगकर्ता पर निर्भर करता है।
इंटरनेट और इट्रानेट (Internet And Intranet)
इंट्रानेट किसी कंपनी का आंतरिक नेटवर्क होता है, जो इंटरनेट मानको का उपयोग करता है,जबकि इंटरनेट नेटवर्को का नेटवर्क है।इंट्रानेट के द्वारा इंटरनेट साफ्टवेयर व इंटरनेट प्रोटोकोल का भी प्रयोग किया जाता है, लेकिन यह सदैव इंटरनेट से स्थाई संबंध नहीं रखता है।
वे
बेवसाइट (Websites)
कंप्यूटर पर विभिन्न कार्य को संपादित करने हेतु भिन्न प्रकार की साफ्टवेयर उपलब्ध है, जैसे टेक्स्ट टाइप एवं फार्मेट करने हेतु वर्ड रो और काॅलम मे कार्य करने हेतु एक्सेल आदि। ठीक उसी तरह इंटरनेट पर हम मुख्यतः बेवसाइट के माध्यम से कार्य करते हैं।प्रत्येक बेवसाइट का अपना नाम होता है। उदाहरण के लिए http://www.google.co.in । इंटरनेट पर उपलब्ध अनेक बेवसाइट के प्रत्येक का नाम अपने आप में एक ही होता है। एक ही नाम की एक ही एक्स्टेशन (जैसे .com, .org, .edu, .gov, .Internet, .mil, & .net) वाली दो बेवसाइटे इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं होती है। प्रत्येक बेवसाइट बेव पेजों के सम्मिश्रण से बनी होती है। इन बेव पेजों में एक-दुसरे पेज के लिए लिंक रहते हैं।जिससे बेवसाइट में किसी भी कार्य को आसानी से संपादित किया जा सकता है। प्रत्येक बेवसाइट के शीर्ष पेज को होम पेज कहा जाता है।
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