फंडामेंटल कंप्यूटर हार्डवेयर

 नमस्कार दोस्तो मै जगतपाल आज हम आप सबों के बीच आधुनिक जीवन में प्रचलित कंप्यूटर हार्डवेयर को सामान्य रूप जानेंगे। इस युग में इसके बारे में थोड़े-बहुत जानकारी बहुत जरुरी है। प्रत्येक स्थान पर प्रयोग होने वाली वस्तु समझा जाता है। आइए शुरु करते है........

वर्तमान समय में इस्तेमाल होने वाली पर्सनल कंप्यूटर में साधारण और जटिल दोनो तरह के कंपोनेंट होते हैं। साधारण उन्हे उस तरह से कहा जा सकता है कि कई के विकास की वजह से बहुत से कंपोनेंट मिलकर एक इंटीग्रेटेड कंपोनेंट का निर्माण करते हैं।जिसकी वजह से कंप्यूटर के एक पार्ट का निर्माण होता है।वर्तमान समय में एक पर्सनल कंप्यूटर को एसेंबल करने हेतु जिस कंपोनेंट की जरूरत होती है, वह निम्न है- 

मदर बोर्ड :-

कंप्यूटर का सबसे ज्यादा सर्किट इसी कंपोनेंट में होता है। इसमें ही रोम से लेकर हार्डडिस्क जैसे सभी भाग जोड़े जाते हैं।

प्रोसेसर  :-

प्रोसेसिंग के सभी काम इसके ही संभव होते हैं। आज हम जिस पेंटियम शब्द को सुनते हैं वह वास्तव में एक प्रोसेसर का ही नाम है। इसे कंप्यूटर का मस्तिष्क भी कहा जाता है जिसे मदर बोर्ड में लगाया जाता है।

रैम (रैन्डम एक्सेस मेमोरी)(Ram) ;-

रेम अर्थात Randam Access Mamory का शाब्दिक अर्थ/ तात्पर्य आकस्मिक मेमोरी अर्थात किसी निश्चित क्रम में पढ़ना व लिखना है। 

इसे इस प्रकार से समझे, हमे किसी विशेष गाने को ग्रामोफोन के रिकॉर्ड पर सुनने के लिए किसी क्रम की आवश्यकता नहीं होती बल्कि यदि उस पर रिकॉर्ड किए गए सातवे गाने को सुनना है तो ग्रामोफोन की सुई सीधे उस गाने पर रख देते हैं और वह बजने लगता है। इसी प्रकार कंप्यूटर में चुंबकीय डिस्क पर सूचनाओं अथवा निर्देशों को संचित किया जाता है। कंप्यूटर की मेमोरी में सूचनाओं अथवा निर्देशों को इस प्रकार संचित करने की कंप्यूटर की आंतरिक स्मृति पद्धति को रेन्डम एक्सेस मेमोरी (Ram) कहा जाता है। 

कैबिनेट :-

कैबिनेट में ही मदर बोर्ड हार्डडिस्क फ्लॉपी डिस्क सीडी रोम इत्यादि को एसेंबल किया जाता है। पावर सप्लाई भी मदर बोर्ड में ही होती है। आप आज कल प्रयोग हो रही देख ही चुके होंगे। 

पावर सप्लाई:-

यह कंपोनेंट कैबिनेट से जुड़ा रहता है। इसके द्वारा ही समूचे कंप्यूटर में विद्युत आपूर्ति होती है।इसकी क्षमता 200 वाट से लेकर 450 वाट तक हो सकते हैं। इसे SMPS भी कहते हैं। 

फ्लाॅपी डिस्क ड्राइव  :-

इसके जरिए आप फ्लाॅपी में स्टोर डेटा कंप्यूटर में इनपुट कर सकते हैं और कंप्यूटर की हार्डडिस्क में स्टोर डेटा फ्लाॅपी में काॅपी कर सकते हैं। प्रारंभ में5.1/4 फ्लाॅपी डिस्क ड्राइव का इस्तेमाल होता था। इसके बाद यह आकार कम होकर साढे तीन इंच की फ्लाॅपी डिस्क ड्राइव का उपयोग होने लगा है।इसकी डेटा स्टोर करने की क्ष्मता 1.44 मेगबाइट होती है।

हार्डडिस्क  :-

इसका इस्तेमाल में सेकेंडरी मेमोरी के तौर पर होता है और यह कंप्यूटर का सबसे भरोसेमंद स्टोरेज माध्यम है। वर्तमान समय में इसकी क्ष्मता गीगाबाइट से भी आगे निकल गए है। तकनीक की वजह से आकार कम होता जा रहा है और डेटा स्टोर ।करने की क्षमता भी बढ़ती जा रही है। इसे कंप्यूटर के मदर बोर्ड में लगी आई डी ई साटा और स्केजी पोर्ट से जोड़ते हैं।

की-बोर्ड -:😉

यह प्राइमरी इनपुट डिवाइस है।इसके द्वारा आप अंको और अक्शरो के रुप में डेटा इनपुट कर सकते हैं।इस समय 104 कीज वाले मल्टीमीडिया की-बोर्ड का प्रयोग किया जा रहा है।इसे कंप्यूटर में लगे मदर बोर्ड से जोड़ते है।

माउस  :- 😉 

माउस भी एक महत्वपूर्ण इनपुट डिवाइस के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा हम विभिन्न एप्लीकेशन साफ्टवेयर को अत्यंत तीव्र गति से चलाकर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।माउस चुहे के आकार का होता है।इस समय दो तरह के Mouse इस्तेमाल किए जा रहे हैं।एक mouse में नीचे एक छोटी सी बाॅल घुमती है जिससे प्वाइंट स्क्रीन पर मूव करता है। जबकि दुसरे में ऑप्टिकल तकनीक का इस्तेमाल होता है।इसमें प्रकाश रिफ्लेकशन से mouse pointer मूव करता है।

माॅनीटर  :- 😉 

यह कंप्यूटर की मुख्य आउटपुट डिवाइस है। वर्तमान समय में रंगीन VGA माॅनीटर का उपयोग/ प्रयोग हो रहा है। लेकिन LCD तकनीक के सस्ते होने की वजह से अब इसका चलन भी बढ़ रहा है। सामान्य माॅनीटर में कांच से बनी CRT का प्रयोग होता है। जिसका पुरा नाम कैथोड रे ट्युब है।जिसकी वजह से माॅनीटर का आकार और मोटाई बहुत ज्यादा होती है। जबकि LCD (रिक्टोड डिस्प्ले) होता है। जिसकी से इसकी मोटाई एक इंच से भी कम होती है।

पी. सी स्पीकर  ;-😉

यह 600 से 4000 से अधिक वाॅट का स्पीकर उपयोग किए जा सकते हैं।जिसे की कंप्यूटर की कैबिनेट के अंदर लगाया जाता है।

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